गम भरी ग़ज़ल हिंदी में Lyrics /दर्द के फूल भी खिलते हैं.....

गम भरी ग़ज़ल हिंदी में Lyrics /दर्द के फूल भी खिलते हैं.....

गम भरी ग़ज़ल हिंदी में Lyrics /दर्द के फूल भी खिलते हैं.....
गम भरी ग़ज़ल हिंदी में Lyrics /दर्द के फूल भी खिलते हैं:-

आज  फिर  से आपके  ख़िदमत  में एक मशहुर शायर जावेद अख़्तर का एक  ग़ज़ल पेश  कर रहा  हूँ.....

                  गम भरी ग़ज़ल हिंदी में Lyrics

दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं,
ज़ख़्म कैसे भी हों कुछ रोज़ में भर जाते हैं||

उस दरीचे में भी अब कोई नहीं और हम भी,
सर झुकाए हुए चुपचाप गुज़र जाते हैं||

रास्ता रोके खड़ी है यही उलझन कब से,
कोई पूछे तो कहें क्या कि किधर जाते हैं||

नर्म आवाज़, भली बातें, मुहज़्ज़ब लहजे,
पहली बारिश ही में ये रंग उतर जाते हैं||

छत की कड़ियों से उतरते हैं मिरे ख़्वाब मगर,
मेरी दीवारों से टकरा के बिखर जाते हैं||

#जावेद अख़्तर


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2 टिप्पणियाँ

  1. 'जख्म कैसे भी हो कुछ रोज में भर जाते हैं'
    मैं जावेद अख्तर की इस लाइन से कत‌ई सहमत नहीं हुं।कुछ जख्म(जरुरी नहीं प्यार के ही हों)उम्र भर नहीं भरते।

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