Mohabbat Ghazal Lyrics in Hindi/सरकती जाए रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता
Mohabbat Ghazal Lyrics in Hindi/सरकती जाए रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता
Mohabbat Ghazal in Hindi Lyrics
जनाब अमीर मीनाई साहेब की एक ग़ज़ल आपके ख़िदमत में पेश है.....
सरकती जाए रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता!
निकलता आ रहा है आफ़्ताब आहिस्ता आहिस्ता||
जवाँ होने लगे जब वो तो हमसे कर लिया पर्दा!
हया यक-लख़्त आई और शबाब आहिस्ता आहिस्ता||
शब-ए-फ़ुर्क़त का जागा हूँ फ़रिश्तो अब तो सोने दो!
कभी फ़ुर्सत में कर लेना हिसाब आहिस्ता आहिस्ता||
सवाल-ए-वस्ल पर उन को अदू का ख़ौफ़ है इतना!
दबे होंटों से देते हैं जवाब आहिस्ता आहिस्ता||
वो बेदर्दी से सर काटें 'अमीर' और मैं कहूँ उन से!
हुज़ूर आहिस्ता आहिस्ता जनाब आहिस्ता आहिस्ता||
#जनाब अमीर मीनाई
Mohabbat Ghazal in Hindi Lyrics
जनाब अमीर मीनाई साहेब की एक ग़ज़ल आपके ख़िदमत में पेश है.....
सरकती जाए रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता!
निकलता आ रहा है आफ़्ताब आहिस्ता आहिस्ता||
जवाँ होने लगे जब वो तो हमसे कर लिया पर्दा!
हया यक-लख़्त आई और शबाब आहिस्ता आहिस्ता||
शब-ए-फ़ुर्क़त का जागा हूँ फ़रिश्तो अब तो सोने दो!
कभी फ़ुर्सत में कर लेना हिसाब आहिस्ता आहिस्ता||
सवाल-ए-वस्ल पर उन को अदू का ख़ौफ़ है इतना!
दबे होंटों से देते हैं जवाब आहिस्ता आहिस्ता||
वो बेदर्दी से सर काटें 'अमीर' और मैं कहूँ उन से!
हुज़ूर आहिस्ता आहिस्ता जनाब आहिस्ता आहिस्ता||
#जनाब अमीर मीनाई
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