Ghazal singer/jagjit Singh ki ghazal/अपने हाथों की लकीरों में बसा ले.....

Ghazal singer/jagjit Singh ki ghazal/अपने हाथों की लकीरों में बसा ले.....

Ghazal singer/jagjit Singh ki ghazal/अपने हाथों की लकीरों में बसा ले.....
Ghazal singer/jagjit Singh ki ghazal/अपने हाथों की लकीरों में बसा ले.....

अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको,
मैं हूँ तेरा तो नसीब अपना बना ले मुझको||

मुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के माने,
ये तेरी सादा-दिली मार ना डाले मुझको||

ख़ुद को मैं बाँट ना डालूँ कहीं दामन-दामन,
कर दिया तूने अगर मेरे हवाले मुझको||

बादा फिर बादा है मैं ज़हर भी पी जाऊं 'क़तील'
शर्त ये है कोई बाहों में सम्भाले मुझको||

#क़तील शिफ़ाई

**********************************************

                    एक परवाज़ दिखाई दी है..... 


एक परवाज़ दिखाई दी है,
तेरी आवाज़ सुनाई दी है||

जिसकी आँखों में कटी थी सदियाँ,
उस ने सदियों की जुदाई दी है||

सिर्फ़ एक सफ़हा पलट कर उसने,
बीती बातों की सफ़ाई दी है||

फिर वहीं लौट के जाना होता,
यार ने कैसी रिहाई दी है||

आग में क्या क्या जला है शब भर,
कितनी ख़ुशरंग दिखाई दी है||


#गुलज़ार

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ