Ghazal singer/jagjit Singh ki ghazal/अपने हाथों की लकीरों में बसा ले.....
Ghazal singer/jagjit Singh ki ghazal/अपने हाथों की लकीरों में बसा ले.....
अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको,
मैं हूँ तेरा तो नसीब अपना बना ले मुझको||
मुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के माने,
ये तेरी सादा-दिली मार ना डाले मुझको||
ख़ुद को मैं बाँट ना डालूँ कहीं दामन-दामन,
कर दिया तूने अगर मेरे हवाले मुझको||
बादा फिर बादा है मैं ज़हर भी पी जाऊं 'क़तील'
शर्त ये है कोई बाहों में सम्भाले मुझको||
#क़तील शिफ़ाई
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एक परवाज़ दिखाई दी है.....
तेरी आवाज़ सुनाई दी है||
जिसकी आँखों में कटी थी सदियाँ,
उस ने सदियों की जुदाई दी है||
सिर्फ़ एक सफ़हा पलट कर उसने,
बीती बातों की सफ़ाई दी है||
फिर वहीं लौट के जाना होता,
यार ने कैसी रिहाई दी है||
आग में क्या क्या जला है शब भर,
कितनी ख़ुशरंग दिखाई दी है||
#गुलज़ार
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